सालो बाद निकली स्टोर रूम सेधुल सनी पुरानी डायरीयादो की बारात निकालीधुल सनी पुरानी डायरीबचपन के दिन, दादाजी के साथ खेल के दिन,वो जिद के दिन, मासूमियत के दिन,शरारतो के दिन, माँ से डांट खाने के दिनयादो की बारात निकालीधुल सनी पुरानी डायरीतीन पहियों वाली साइकिल को खीचने के दिनअपने जन्मदिन के इंतज़ार के दिन,दोस्तों से चिढ़ने बिगाड़ने के दिनकभी अब्बा तो कभी कट्टी करने के दिनयादों को अब्बा कहतीयादो की बारात निकालीधुल सनी पुरानी डायरी
सालो बाद निकाली स्टोर रूम से
धुल सनी पुरानी डायरी
यादो की बारात निकाली
धुल सनी पुरानी डायरी
बचपन के दिन, दादाजी के साथ खेल के दिन,
वो जिद के दिन, मासूमियत के दिन,
शरारतो के दिन, माँ से डांट खाने के दिन
यादो की बारात निकाली
धुल सनी पुरानी डायरी
तीन पहियों वाली साइकिल को खीचने के दिन
अपने जन्मदिन के इंतज़ार के दिन,
दोस्तों से चिढ़ने बिगाड़ने के दिन
कभी अब्बा तो कभी कट्टी करने के दिन
यादों को अब्बा कहती
यादो की बारात निकाली
धुल सनी पुरानी डायरी
सालो बाद निकाली स्टोर रूम से
धुल सनी पुरानी डायरी
यादो की बारात निकाली
धुल सनी पुरानी डायरी
बचपन के दिन, दादाजी के साथ खेल के दिन,
वो जिद के दिन, मासूमियत के दिन,
शरारतो के दिन, माँ से डांट खाने के दिन
यादो की बारात निकाली
धुल सनी पुरानी डायरी
तीन पहियों वाली साइकिल को खीचने के दिन
अपने जन्मदिन के इंतज़ार के दिन,
दोस्तों से चिढ़ने बिगाड़ने के दिन
कभी अब्बा तो कभी कट्टी करने के दिन
यादों को अब्बा कहती
यादो की बारात निकाली
धुल सनी पुरानी डायरी

Wrote this poem in 1999. I found my old diary today; sharing one of the poems with you 🙂
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